11/3/07

तरसती निगाहों ने हर पल

तरसती निगाहों ने हर पल आपका दिदार मांगा,

जैसे अमावस ने हर रात चांद को मांगा,

रूठ गया वो खुदा भी हमसे,

जब हमने अपनी हर दुआ में आपको मांगा ।

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